गणेश की मूर्ति
पूजा थाली (अर्पण के लिए प्लेट)
ताज़े फूल (विशेष रूप से लाल और पीले)
फल (केला, सेब, और नारियल)
मोदक (मीठे बूँदियाँ, गणेश का पसंदीदा)
नट्स (काजू, बादाम, पिस्ता)
गुड़
चीनी (या शक्कर)
चावल (कच्चा, अर्पण के लिए)
केसर
हल्दी (हल्दी पाउडर)
कुमकुम (टीका के लिए लाल पाउडर)
चंदन (चंदन पाउडर या पेस्ट)
घी (निर्जलित मक्खन)
कपूर (आरती के लिए)
अगरबत्ती (धूप)
दीया (तेल का दीपक)
पान के पत्ते (बेतल पत्ते)
पान के मेवे (बेतल नट)
आम के पत्ते (सजावट के लिए)
नारियल (अर्पण के लिए)
पानी (छोटी बर्तन या कलश में)
पूजा पुस्तक (प्रार्थना और मंत्रों के लिए)
नवरत्न (नौ रत्न) (वैकल्पिक)
सोने/चाँदी का सिक्का (वैकल्पिक, आशीर्वाद के लिए)
धागा या रस्सी (नारियल बांधने के लिए)
नई चादर या लाल चादर (मूर्ति को ढकने के लिए)
हवन कुंड (हवन करने के लिए अग्नि का स्थान)
अग्नि सामग्री (जैसे लकड़ी, अग्नि चूर्ण)
हवन सामिग्री:
गुड़ (गुड़ के टुकड़े)
चावल (कच्चा चावल)
तिल (तिल के बीज)
सुपारी (पान की सुपारी)
नारियल (धूप और अर्पण के लिए)
घी (निर्जलित मक्खन, हवन में अर्पण के लिए)
केसर (वैकल्पिक, विशेष हवन के लिए)
फूल (ताज़े फूल, अर्पण के लिए)
धूप (अग्नि को शुद्ध करने के लिए)
आसनों के लिए चादर (हवन के लिए बैठने के लिए)
अग्नि का तंत्र (हवन करते समय मंत्रों का जाप करने के लिए)
पंचामृत (गाय का दूध, दही, घी, शहद, और चीनी का मिश्रण)
गंगाजल (हवन में शामिल करने के लिए)
सिद्धिदात्री चांदनी (अर्पण के लिए)
कपूर (आरती और अग्नि में डालने के लिए)
नारियल का पानी (अर्पण के लिए)
ताम्बूल (पान, सुपारी, और अन्य सामग्री)
मिठाई और फल (प्रसाद के लिए)
दिया या मोमबत्ती (हवन के दौरान प्रकाश के लिए)
धात्री चंद्रिका (आशीर्वाद के लिए)
लक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र
पूजा थाली (अर्पण के लिए)
ताज़े फूल (विशेष रूप से गुलाब और कमल)
फल (सेब, अंगूर, केले, नारियल)
मोदक (लक्ष्मी माता का प्रिय प्रसाद)
मिठाई (जैसे लड्डू, बर्फी)
चावल (कच्चा चावल, अर्पण के लिए)
गुड़ (अर्पण के लिए)
कुमकुम (टीका लगाने के लिए)
हल्दी (हल्दी पाउडर)
चंदन (चंदन पाउडर या पेस्ट)
दीया (तेल का दीपक)
घी (आरती के लिए)
अगरबत्ती (धूप)
कपूर (आरती के लिए)
पान के पत्ते (बेतल पत्ते)
पान के मेवे (बेतल नट)
नारियल (अर्पण के लिए)
सुरक्षित जल (छोटी बर्तन या कलश में)
मक्का या चावल का गोंद (सुरक्षा के लिए)
नवधान्य (नौ प्रकार के अनाज)
आरती की थाली (आरती करने के लिए)
सुवर्ण या चाँदी का सिक्का (आशीर्वाद के लिए)
फूलों की माला (मूर्ति को सजाने के लिए)
नवग्रह की मूर्तियाँ या चित्र (सभी नौ ग्रहों की)
पूजा थाली (अर्पण के लिए)
ताज़े फूल (सभी ग्रहों के लिए)
फल (केला, नारियल, सेब, अंगूर)
चावल (कच्चा चावल, अर्पण के लिए)
गुड़ (अर्पण के लिए)
कुमकुम (टीका लगाने के लिए)
हल्दी (हल्दी पाउडर)
चंदन (चंदन पाउडर या पेस्ट)
घी (आरती के लिए)
दीया (तेल का दीपक)
अगरबत्ती (धूप)
कपूर (आरती के लिए)
नवधान्य (नौ प्रकार के अनाज)
दूर्वा घास (ग्रहों के लिए)
नारियल (अर्पण के लिए)
सुरक्षित जल (छोटी बर्तन या कलश में)
आटे का प्रसाद (चपाती या अन्य)
सोने या चांदी का सिक्का (आशीर्वाद के लिए)
माला (ग्रहों को सजाने के लिए)
सुवर्ण या चाँदी के बर्तन (प्रसाद के लिए)
सत्यनारायण भगवान की मूर्ति या चित्र: यह पूजा का केंद्र बिंदु होता है।
कलश: इसमें जल, पंचामृत, रोली, चावल, फूल और नारियल रखा जाता है।
दीपक: घी या तेल का दीपक जलाया जाता है।
धूप: अगरबत्ती या धूप जलाया जाता है।
चावल: पूजा के लिए शुद्ध चावल का उपयोग किया जाता है।
फूल: विभिन्न प्रकार के ताजे फूल जैसे चमेली, गुलाब आदि।
फल: मौसमी फल जैसे केला, सेब, संतरा आदि।
नारियल: पूजा में नारियल का विशेष महत्व होता है।
रोली: तिलक लगाने के लिए रोली का उपयोग किया जाता है।
चंदन: तिलक लगाने के लिए चंदन का उपयोग किया जाता है।
अक्षत: पूजा में अक्षत का छिड़काव किया जाता है।
पंचामृत: दूध, दही, शहद, घी और चीनी मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है।
जनेऊ: ब्राह्मण को जनेऊ पहनाया जाता है।
पुष्पांजलि: फूलों की माला
धूपबत्ती: पूजा में सुगंधित धूपबत्ती जलाई जाती है।
दीपक: घी या तेल का दीपक जलाया जाता है।
पानी का बर्तन: हाथ धोने के लिए पानी का बर्तन।
तौलिया: हाथ पोंछने के लिए तौलिया।
सत्यनारायण कथा की पुस्तक: कथा पाठ के लिए।
पूजा की थाली: सारी सामग्री को रखने के लिए।
दोने: प्रसाद रखने के लिए।
चम्मच: प्रसाद निकालने के लिए।
लोटा: जल चढ़ाने के लिए।
नैवेद्य: भोग लगाने के लिए।
हवन सामग्री: (यदि हवन किया जाता है)
वस्त्र: भगवान के लिए वस्त्र।
महालक्ष्मी माता की मूर्ति या चित्र - 1
पूजा थाली - 1
ताज़े फूल (लाल, पीले, सफेद) - 1 गुच्छा (100-200 ग्राम)
फल (सेब, केला, नारियल, अनार) - 2-3 फल (प्रत्येक)
मोदक - 5-7 (या अन्य मिठाई)
मिठाई (लड्डू, बर्फी) - 250-500 ग्राम
चावल (कच्चा) - 1 कप
गुड़ - 100-200 ग्राम
कुमकुम - 1 चम्मच
हल्दी (हल्दी पाउडर) - 1 चम्मच
चंदन (चंदन पाउडर या पेस्ट) - 1 चम्मच
दीया (तेल का दीपक) - 1-2
घी - 1 चम्मच (आरती के लिए)
अगरबत्ती - 2-3
कपूर - 1 चम्मच (आरती के लिए)
पान के पत्ते - 2-3
पान के मेवे (बेतल नट) - 5-7
नारियल - 1 (धन के लिए)
सुरक्षित जल (छोटी बर्तन या कलश में) - 1 बर्तन (1 लीटर)
नवधान्य (नौ प्रकार के अनाज) - 1 कप
सोने या चाँदी का सिक्का - 1 (आशीर्वाद के लिए)
माला (फूलों की) - 1
धात्री चंद्रिका (आशीर्वाद के लिए) - 1
शिवलिंग (पत्थर या मिट्टी की मूर्ति) - 1
पूजा थाली (अर्पण के लिए) - 1
ताज़े फूल (विशेष रूप से सफेद और लाल) - 1 गुच्छा (200-300 ग्राम)
फल (केला, सेब, नारियल) - 2-3 फल (प्रत्येक)
चावल (अर्पण के लिए) - 1 कप
घी (निर्जलित मक्खन, अर्पण के लिए) - 100 ग्राम
शहद - 2 चम्मच
दूध (अभिषेक के लिए) - 1 लीटर
दही (अभिषेक के लिए) - 1 कप
पानी (अभिषेक और शुद्धिकरण के लिए) - 1 लीटर
चीनी - 100 ग्राम
कुमकुम (टीका लगाने के लिए) - 1 चम्मच
हल्दी (हल्दी पाउडर) - 1 चम्मच
चंदन (चंदन पाउडर या पेस्ट) - 1 चम्मच
बेल पत्र (पत्ते) - 5-7 पत्ते
धूप या अगरबत्ती - 2-3
दीया (तेल का दीपक) - 1-2
आगर्बत्ती (धूप) - 2-3
कपूर (आरती के लिए) - 1 चम्मच
नर्मदा जल (या पवित्र जल) - 1 कप (वैकल्पिक)
मेवे (काजू, बादाम आदि) - 100 ग्राम (वैकल्पिक)
रुद्र सूक्त (पाठ के लिए पुस्तक या प्रिंटआउट)
माला (जाप के लिए) - 1
सोने या चाँदी का सिक्का (आशीर्वाद के लिए) - 1
पूजा थाली - 1
चावल (अर्पण के लिए) - 1 कप
काले तिल - 2 चम्मच
जौ (जौ) - 1 कप (वैकल्पिक)
घी (निर्जलित मक्खन) - 100 ग्राम
चीनी या गुड़ - 100 ग्राम
फल (केला, सेब या मौसमी फल) - 2-3 फल (प्रत्येक)
पानी (अर्पण के लिए) - 1 लीटर
नारियल - 1 (धक के साथ)
ताज़े फूल - 1 गुच्छा (200-300 ग्राम)
कुमकुम (टीका लगाने के लिए) - 1 चम्मच
हल्दी (हल्दी पाउडर) - 1 चम्मच
चंदन (चंदन पाउडर या पेस्ट) - 1 चम्मच
बेल पत्र (पत्ते) - 5-7 पत्ते
दीया (तेल का दीपक) - 1-2
अगरबत्ती (धूप) - 2-3
कपूर (आरती के लिए) - 1 चम्मच
मेवे (जैसे बादाम और काजू) - 100 ग्राम (वैकल्पिक)
नैवेद्य (भोजन का अर्पण, जैसे पका हुआ चावल, दाल आदि) - अर्पण के लिए पर्याप्त
पिण्ड (चावल के गोले) - 3-5 (चावल के आटे और पानी से बने)
पूर्वजों की तस्वीरें या मूर्तियाँ - 1-2
मिठाई (जैसे लड्डू या बर्फी) - अर्पण के लिए
रुद्राक्ष की माला - 1 (जाप के लिए वैकल्पिक)
तैयारी: पूजा करने के स्थान को अच्छे से साफ करें।
समय: पितृ पूजा विशेष दिनों पर की जाती है, जैसे पितृ पक्ष, अमावस्या, या deceased के श्राद्ध पर।
भक्ति: विधियों का पालन करते समय पूर्वजों को याद करें और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करें।
पूजा थाली - 1
ताज़े फूल (रंग-बिरंगे) - 1 गुच्छा (200-300 ग्राम)
फल (जैसे केला, सेब, संतरा) - 2-3 फल (प्रत्येक)
मिठाई (जैसे लड्डू, बर्फी, या केक) - 250-500 ग्राम
चावल (अर्पण के लिए) - 1 कप
गुड़ - 100 ग्राम
कुमकुम (टीका लगाने के लिए) - 1 चम्मच
हल्दी (हल्दी पाउडर) - 1 चम्मच
दीया (तेल का दीपक) - 1-2
अगरबत्ती (धूप) - 2-3
कपूर (आरती के लिए) - 1 चम्मच
नारियल - 1 (धक के साथ)
पान के पत्ते - 2-3 (वैकल्पिक)
मेवे (जैसे बादाम, काजू) - 100 ग्राम (वैकल्पिक)
पानी (पवित्र जल के लिए) - 1 लीटर
जन्मदिन की केक - 1 (अगर विशेष रूप से मनाने के लिए)
रंगीन बलून (सजावट के लिए) - 5-10
फूलों की माला (सजावट के लिए) - 1
तैयारी: पूजा स्थल को साफ और सजावट के साथ तैयार करें।
भक्ति: जन्मदिन की पूजा करते समय विशेष रूप से अपने जीवन में अच्छे स्वास्थ्य, सुख, और समृद्धि की कामना करें।
मंत्र: यदि संभव हो, तो शुभ अवसर पर संबंधित मंत्रों का जाप करें।
पूजा थाली - 1
ताज़े फूल (सजावट के लिए) - 1 गुच्छा (200-300 ग्राम)
चावल (अर्पण के लिए) - 1 कप
नारियल (धक के साथ) - 1
दीया (तेल का दीपक) - 1-2
अगरबत्ती (धूप) - 2-3
कपूर (आरती के लिए) - 1 चम्मच
गुड़ - 100 ग्राम
फल (जैसे केला, सेब) - 2-3 फल (प्रत्येक)
पानी (पवित्र जल के लिए) - 1 लीटर
कुमकुम (टीका लगाने के लिए) - 1 चम्मच
हल्दी (हल्दी पाउडर) - 1 चम्मच
पान के पत्ते - 2-3 (वैकल्पिक)
रंगीन राखी (अगर कोई नई बहन या भाई है) - 1 (वैकल्पिक)
चंदन (चंदन पाउडर या पेस्ट) - 1 चम्मच
घर की सजावट के लिए रंगीन बलून - 5-10
मिठाई (जैसे लड्डू, बर्फी) - 250-500 ग्राम
बर्तन (अर्पण के लिए) - 1-2
तैयारी: नए घर में प्रवेश से पहले सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
समय: गृह प्रवेश पूजा को शुभ समय पर करना चाहिए, इसलिए पंचांग देखना उचित है।
भक्ति: गृह प्रवेश पूजा करते समय घर में सुख, शांति, और समृद्धि की प्रार्थना करें।
अपने परिवार की परंपराओं और आवश्यकताओं के अनुसार सामग्री में समायोजन करें!
ध्यान दें: सामग्री की सटीक मात्रा ज्योतिषी या पंडित के निर्देशानुसार होनी चाहिए।
शिवलिंग: 1 (मध्यम आकार)
गंगाजल: 1 कटोरी
दूध: 1/2 लीटर
दही: 1/2 कप
शहद: 2 चम्मच
घी: 2 चम्मच
बिल्व पत्र: 11 या 21 पत्ते
धतूरा: 5-7 फूल
दीपक: 5
धूप: 1 पैकेट
फूल: विभिन्न प्रकार के ताजे फूल (एक मुट्ठी भर)
फल: विभिन्न प्रकार के मौसमी फल (3-5)
नारियल: 1-3
रोली: थोड़ी सी मात्रा
चंदन: थोड़ी सी मात्रा
अक्षत: एक मुट्ठी भर
कुश: एक मुट्ठी भर
काल सर्प यंत्र: 1 (यदि आवश्यक हो)
हवन सामग्री: (यदि हवन किया जाता है)
घी: 100 ग्राम
कपूर: थोड़ी सी मात्रा
कुश: थोड़ी सी मात्रा
समिधा: 1 किलो
वस्त्र: 1 (नया या साफ)
पूजा की थाली: 1
चौकी: 1
लोटा: 1
कपड़े: पूजा के लिए साफ कपड़े
मंत्र पुस्तिका: (यदि आवश्यक हो)
ध्यान दें:
काल सर्प यंत्र: यह सभी पूजा विधियों में आवश्यक नहीं होता।
हवन सामग्री: हवन यदि किया जाता है तो उपरोक्त सामग्री की आवश्यकता होगी।
मंत्र पुस्तिका: मंत्रों का जाप करने के लिए मंत्र पुस्तिका उपयोगी हो सकती है।
महत्वपूर्ण बातें:
ज्योतिषी की सलाह: कालसर्प दोष पूजा हमेशा किसी अनुभवी ज्योतिषी या पंडित के निर्देशानुसार करनी चाहिए।
शुद्धता: पूजा के समय पूरी तरह से शुद्ध रहें।
विश्वास: पूजा करते समय मन में विश्वास रखें।
नियमित पूजा: बेहतर परिणामों के लिए नियमित रूप से पूजा करें।
ध्यान दें: चंडी हवन एक जटिल अनुष्ठान है और सामग्री की सटीक मात्रा ज्योतिषी या पंडित के निर्देशानुसार होनी चाहिए। नीचे दी गई मात्राएँ एक सामान्य अनुमान हैं।
समिधा:
खैर की लकड़ी: 5-7 किलो
पीपल की लकड़ी: 2-3 किलो
अर्जुन की लकड़ी: 2-3 किलो
घी: 5-7 किलो
अग्नि: यज्ञकुंड में लगातार जलती रहे, इसके लिए पर्याप्त लकड़ी और घी की आवश्यकता होती है।
मंत्र: चंडी पाठ के मंत्रों की एक पुस्तक
पूजा सामग्री:
दीपक: 11
धूप: 2 पैकेट
फूल: विभिन्न प्रकार के ताजे फूल (एक बड़ी टोकरी)
फल: विभिन्न प्रकार के मौसमी फल (5-7 किलो)
नारियल: 11
रोली: 100 ग्राम
चंदन: 100 ग्राम
अक्षत: 1 किलो
चंडी यंत्र: 1 (यदि आवश्यक हो)
हवन सामग्री:
विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियाँ: 500 ग्राम (जैसे तुलसी, कुशा, आदि)
विभिन्न प्रकार के धातु के टुकड़े: 250 ग्राम (जैसे सोना, चांदी, तांबा)
यज्ञकुंड: एक विशेष रूप से बनाया गया कुंड
पूजा की थाली: 1
चौकी: 1
लोटा: 1
कपड़े: पूजा के लिए साफ कपड़े
मंत्र पुस्तिका: (यदि आवश्यक हो)
ध्यान दें:
हवन सामग्री: हवन सामग्री की मात्रा और प्रकार ज्योतिषी या पंडित के निर्देशानुसार होनी चाहिए।
चंडी यंत्र: यह सभी पूजा विधियों में आवश्यक नहीं होता।
मंत्र पुस्तिका: मंत्रों का जाप करने के लिए मंत्र पुस्तिका उपयोगी हो सकती है।
महत्वपूर्ण बातें:
ज्योतिषी की सलाह: चंडी हवन हमेशा किसी अनुभवी ज्योतिषी या पंडित के निर्देशानुसार करवाना चाहिए।
शुद्धता: पूजा के समय पूरी तरह से शुद्ध रहें।
विश्वास: पूजा करते समय मन में विश्वास रखें।
नियमित पूजा: बेहतर परिणामों के लिए नियमित रूप से पूजा करें।
ध्यान दें: वास्तु पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की सटीक मात्रा, पूजा की विधि और वास्तु दोष की गंभीरता पर निर्भर करती है। एक अनुभवी पंडित या वास्तु विशेषज्ञ आपको सबसे अच्छी सलाह दे सकते हैं।
आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली सामग्री:
कलश: 1 (मध्यम आकार)
पंचामृत: 1 कप
दूध: 1/2 कप
दही: 1/4 कप
शहद: 1 चम्मच
घी: 1 चम्मच
चीनी: 1 चम्मच
रोली: 2 चम्मच
चावल: 1 मुट्ठी
फूल: विभिन्न प्रकार के ताजे फूल (एक गुलदस्ता)
फल: मौसमी फल (3-5)
नारियल: 1
चंदन: 1 छोटा टुकड़ा
अक्षत: 1 मुट्ठी
कुश: एक मुट्ठी
दीपक: 5
धूप: 1 पैकेट
यंत्र: वास्तु दोष निवारण के लिए विशेष यंत्र (यदि आवश्यक हो)
हवन सामग्री: (यदि हवन किया जाता है)
घी: 100 ग्राम
कपूर: थोड़ी सी मात्रा
कुश: थोड़ी सी मात्रा
समिधा: 1 किलो
अन्य आवश्यक सामग्री:
चौकी: 1
लोटा: 1
कपड़े: पूजा के लिए साफ कपड़े
मंत्र पुस्तिका: (यदि आवश्यक हो)
विशेष नोट:
यंत्र: वास्तु दोष के प्रकार के अनुसार अलग-अलग यंत्र का उपयोग किया जाता है।
हवन सामग्री: हवन सामग्री की मात्रा और प्रकार ज्योतिषी या पंडित के निर्देशानुसार होनी चाहिए।
पूजा का समय: शुभ मुहूर्त में पूजा करना चाहिए।
वास्तु पूजा की विधि:
शुद्धि: घर को गंगाजल से शुद्ध करें।
कलश स्थापना: कलश को चौकी पर स्थापित करें।
दीपक और धूप जलाएं: सकारात्मक ऊर्जा के लिए।
मंत्र जाप: वास्तु दोष निवारण के मंत्रों का जाप करें।
हवन: (यदि आवश्यक हो) हवन कुंड में सामग्री डालकर हवन करें।
आरती: देवताओं की आरती करें।
यंत्र स्थापना: (यदि आवश्यक हो) यंत्र को निर्धारित स्थान पर स्थापित करें।
ध्यान दें:
यह केवल एक सामान्य दिशानिर्देश है। वास्तु पूजा की विधि जटिल हो सकती है और इसे किसी अनुभवी पंडित या वास्तु विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
वास्तु दोष निवारण के लिए केवल पूजा ही काफी नहीं है। घर की संरचना में कुछ बदलाव करने की भी आवश्यकता हो सकती है।
वास्तु दोष निवारण के लिए अन्य उपाय:
दान: ब्राह्मणों को भोजन कराना, गरीबों को दान देना।
जप: विशेष मंत्रों का नियमित रूप से जाप करना।
व्रत: कुछ विशेष दिनों में व्रत रखना।
पेड़-पौधे लगाना: घर के आसपास पौधे लगाना।
ध्यान दें: श्री यंत्र पूजा के लिए इस्तेमाल होने वाली सामग्री की सटीक मात्रा, पूजा की विधि और व्यक्तिगत विश्वास पर निर्भर करती है। एक अनुभवी पंडित आपको सबसे अच्छी सलाह दे सकते हैं।
आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली सामग्री:
श्री यंत्र: 1 (धातु या कागज पर बना हुआ)
पूजा की थाली: 1
कलश: 1 (मध्यम आकार)
पंचामृत: 1 कप
दूध: 1/2 कप
दही: 1/4 कप
शहद: 1 चम्मच
घी: 1 चम्मच
चीनी: 1 चम्मच
रोली: 2 चम्मच
चावल: 1 मुट्ठी
फूल: विभिन्न प्रकार के ताजे फूल (एक गुलदस्ता)
फल: मौसमी फल (3-5)
नारियल: 1
चंदन: 1 छोटा टुकड़ा
अक्षत: 1 मुट्ठी
कुश: एक मुट्ठी
दीपक: 5
धूप: 1 पैकेट
कपूर: थोड़ा सा
लाल कपड़ा: श्री यंत्र को ढकने के लिए
अन्य आवश्यक सामग्री:
चौकी: 1
लोटा: 1
कपड़े: पूजा के लिए साफ कपड़े
मंत्र पुस्तिका: (यदि आवश्यक हो)
विशेष नोट:
श्री यंत्र: श्री यंत्र की धातु और आकार आपके बजट और पसंद के अनुसार हो सकता है।
लाल कपड़ा: लाल रंग लक्ष्मी जी का प्रतीक है, इसलिए श्री यंत्र को लाल कपड़े से ढकना शुभ माना जाता है।
हवन सामग्री: यदि आप हवन करना चाहते हैं, तो आपको हवन सामग्री जैसे घी, कपूर, समिधा आदि की आवश्यकता होगी।
श्री यंत्र पूजा की विधि:
शुद्धि: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
श्री यंत्र स्थापना: श्री यंत्र को पूजा की थाली पर स्थापित करें।
कलश स्थापना: कलश को चौकी पर स्थापित करें।
दीपक और धूप जलाएं: सकारात्मक ऊर्जा के लिए।
मंत्र जाप: श्री यंत्र के मंत्रों का जाप करें।
आरती: श्री यंत्र की आरती करें।
प्रसाद: श्री यंत्र को फूल, फल और मिठाई चढ़ाएं।
श्री यंत्र पूजा के लाभ:
धन लाभ: श्री यंत्र की पूजा करने से धन में वृद्धि होती है।
व्यवसाय में सफलता: व्यापार में सफलता मिलती है।
सुख-शांति: घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है।
रोग मुक्ति: रोगों से मुक्ति मिलती है।
मनोकामना पूर्ण: मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
श्री यंत्र पूजा के कुछ महत्वपूर्ण नियम:
श्री यंत्र को हमेशा साफ-सुथरे स्थान पर रखें।
श्री यंत्र की पूजा करते समय मन को एकाग्र रखें।
श्री यंत्र को कभी भी नष्ट न करें।
श्री यंत्र को हमेशा सम्मान के साथ रखें।
ध्यान दें:
श्री यंत्र की पूजा करते समय किसी अनुभवी पंडित का मार्गदर्शन लेना बेहतर होता है।
श्री यंत्र की पूजा नियमित रूप से करने से अधिक लाभ मिलता है।
हनुमान जी की पूजा में कुछ विशेष सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। ये सामग्री न केवल पूजा को अधिक प्रभावशाली बनाती हैं, बल्कि हनुमान जी को प्रसन्न करने में भी मदद करती हैं। आइए जानते हैं कि हनुमान जी की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री और कितनी मात्रा में चाहिए:
हनुमान जी की मूर्ति या चित्र:
आप अपनी पसंद के अनुसार हनुमान जी की मूर्ति या चित्र का उपयोग कर सकते हैं।
कलश: 1
पंचामृत: 1 कप
दूध: ½ कप
दही: ¼ कप
शहद: 1 चम्मच
घी: 1 चम्मच
चीनी: 1 चम्मच
रोली: 2 चम्मच
चावल: 1 मुट्ठी
फूल: विभिन्न रंगों के ताजे फूल (एक गुलदस्ता)
फल: मौसमी फल (3-5)
नारियल: 1
चंदन: 1 छोटा टुकड़ा
अक्षत: 1 मुट्ठी
कुश: एक मुट्ठी
दीपक: 5
धूप: 1 पैकेट
कपूर: थोड़ा सा
सिंदूर: थोड़ा सा
लौंग: 5-7
पीपल का पत्ता: 1
हनुमान चालीसा की पुस्तक: 1
सिंदूर का टीका: हनुमान जी को अर्पित करने के लिए
बादाम: 5-7
गुड़: 100 ग्राम
कलश: कलश में जल, पंचामृत, रोली, चावल, फूल और नारियल भरकर इसे पूजा स्थल पर स्थापित करें।
दीपक: दीपक में घी या तेल डालकर जलाएं।
धूप: धूप की अगरबत्ती जलाएं।
फूल: फूलों से हनुमान जी को अर्पित करें।
फल: फलों को भोग लगाएं।
नारियल: नारियल को तोड़कर हनुमान जी को अर्पित करें।
रोली, चंदन, अक्षत: इनसे तिलक लगाएं और चढ़ाएं।
कुश: कुश को पूजा स्थल पर बिछाएं।
सिंदूर, लौंग, पीपल का पत्ता: इनको हनुमान जी को अर्पित करें।
हनुमान चालीसा: हनुमान चालीसा का पाठ करें।
मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन पूजा करने से विशेष फल मिलता है।
आप किसी भी शुभ मुहूर्त में हनुमान जी की पूजा कर सकते हैं।
ध्यान दें:
उपरोक्त सामग्री की मात्रा अनुमानित है। आप अपनी सुविधा के अनुसार इनमें थोड़ा बहुत बदलाव कर सकते हैं।
पूजा करते समय मन को एकाग्र रखें और हनुमान जी के प्रति श्रद्धा रखें।
किसी अनुभवी पंडित का मार्गदर्शन लेना बेहतर होगा।
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भगवान शिव की पूजा करने के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है। ये सामग्रियां पूजा को अधिक प्रभावशाली बनाती हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करती हैं।
आवश्यक सामग्री:
शिवलिंग: आप अपनी सुविधा के अनुसार शिवलिंग का चुनाव कर सकते हैं।
कलश: 1 (मध्यम आकार का)
पंचामृत: 1 कप
दूध: ½ कप
दही: ¼ कप
शहद: 1 चम्मच
घी: 1 चम्मच
चीनी: 1 चम्मच
रोली: 2 चम्मच
चावल: 1 मुट्ठी
फूल: विभिन्न रंगों के ताजे फूल (एक गुलदस्ता)
फल: मौसमी फल (3-5)
नारियल: 1
चंदन: 1 छोटा टुकड़ा
अक्षत: 1 मुट्ठी
कुश: एक मुट्ठी
बेल पत्र: 5-7 पत्ते
धतूरा: 3-5 फूल
भांग: थोड़ी सी (यदि उपयोग करते हैं)
दीपक: 5
धूप: 1 पैकेट
कपूर: थोड़ा सा
शिव पुराण या शिव चालीसा: 1
अतिरिक्त सामग्री (यदि उपलब्ध हो):
त्रिशूल: 1
डमरू: 1
नाग: 1
पूजा विधि में उपयोग:
कलश: कलश में जल, पंचामृत, रोली, चावल, फूल और नारियल भरकर इसे पूजा स्थल पर स्थापित करें।
शिवलिंग: शिवलिंग को गंगाजल से धोकर उसे पंचामृत से स्नान कराएं।
बेल पत्र, धतूरा, भांग: इनको शिवलिंग पर चढ़ाएं।
दीपक: दीपक में घी या तेल डालकर जलाएं।
धूप: धूप की अगरबत्ती जलाएं।
फूल: फूलों से शिवलिंग को अर्पित करें।
फल: फलों को भोग लगाएं।
नारियल: नारियल को तोड़कर शिवलिंग पर चढ़ाएं।
रोली, चंदन, अक्षत: इनसे तिलक लगाएं और चढ़ाएं।
कुश: कुश को पूजा स्थल पर बिछाएं।
शिव पुराण या शिव चालीसा: इसका पाठ करें।
ध्यान दें:
उपरोक्त सामग्री की मात्रा अनुमानित है। आप अपनी सुविधा के अनुसार इनमें थोड़ा बहुत बदलाव कर सकते हैं।
पूजा करते समय मन को एकाग्र रखें और भगवान शिव के प्रति श्रद्धा रखें।
किसी अनुभवी पंडित का मार्गदर्शन लेना बेहतर होगा।
अन्नप्राशन संस्कार एक हिंदू धर्म में किया जाने वाला महत्वपूर्ण संस्कार है जिसमें शिशु को पहली बार अन्न खिलाया जाता है। इस संस्कार के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है।
आवश्यक सामग्री:
कलश: 1 (मध्यम आकार का)
पंचामृत: 1 कप
दूध: ½ कप
दही: ¼ कप
शहद: 1 चम्मच
घी: 1 चम्मच
चीनी: 1 चम्मच
रोली: 2 चम्मच
चावल: 1 मुट्ठी
फूल: विभिन्न रंगों के ताजे फूल (एक गुलदस्ता)
फल: मौसमी फल (3-5)
नारियल: 1
चंदन: 1 छोटा टुकड़ा
अक्षत: 1 मुट्ठी
कुश: एक मुट्ठी
दीपक: 5
धूप: 1 पैकेट
कपूर: थोड़ा सा
अन्न: शिशु को खिलाने के लिए पका हुआ खीर या दलिया (मात्रा बच्चे की उम्र पर निर्भर करती है)
चांदी की कटोरी: शिशु को अन्न खिलाने के लिए
चांदी का चम्मच: शिशु को अन्न खिलाने के लिए
अतिरिक्त सामग्री (यदि उपलब्ध हो):
पूजा की थाली: 1
लोटा: 2
कपड़े: पूजा के लिए साफ कपड़े
पूजा विधि में उपयोग:
कलश: कलश में जल, पंचामृत, रोली, चावल, फूल और नारियल भरकर इसे पूजा स्थल पर स्थापित करें।
दीपक: दीपक में घी या तेल डालकर जलाएं।
धूप: धूप की अगरबत्ती जलाएं।
फूल: फूलों से पूजा स्थल को सजाएं।
फल: फलों को भोग लगाएं।
नारियल: नारियल को तोड़कर पूजा स्थल पर रखें।
रोली, चंदन, अक्षत: इनसे तिलक लगाएं और चढ़ाएं।
कुश: कुश को पूजा स्थल पर बिछाएं।
अन्न: चांदी की कटोरी में अन्न लेकर शिशु को खिलाएं।
ध्यान दें:
उपरोक्त सामग्री की मात्रा अनुमानित है। आप अपनी सुविधा के अनुसार इनमें थोड़ा बहुत बदलाव कर सकते हैं।
अन्नप्राशन संस्कार के समय किसी पंडित का मार्गदर्शन लेना बेहतर होता है।
अन्नप्राशन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त: अन्नप्राशन के लिए शुभ मुहूर्त निकालने के लिए किसी पंडित से संपर्क करें।
सरस्वती पूजा में ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आराधना की जाती है। इस पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है।
आवश्यक सामग्री:
मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र:
मां सरस्वती की सुंदर मूर्ति या चित्र।
कलश: 1 (मध्यम आकार का)
पंचामृत: 1 कप
दूध: ½ कप
दही: ¼ कप
शहद: 1 चम्मच
घी: 1 चम्मच
चीनी: 1 चम्मच
रोली: 2 चम्मच
चावल: 1 मुट्ठी
फूल: सफेद और पीले रंग के ताजे फूल (एक गुलदस्ता)
फल: मौसमी फल (3-5)
नारियल: 1
चंदन: 1 छोटा टुकड़ा
अक्षत: 1 मुट्ठी
कुश: एक मुट्ठी
दीपक: 5
धूप: 1 पैकेट
कपूर: थोड़ा सा
पुस्तकें: ज्ञान का प्रतीक
वाद्य यंत्र: जैसे कि वीणा या बांसुरी (यदि उपलब्ध हो)
अतिरिक्त सामग्री (यदि उपलब्ध हो):
पूजा की थाली: 1
लोटा: 2
कपड़े: पूजा के लिए साफ कपड़े
पूजा विधि में उपयोग:
कलश: कलश में जल, पंचामृत, रोली, चावल, फूल और नारियल भरकर इसे पूजा स्थल पर स्थापित करें।
दीपक: दीपक में घी या तेल डालकर जलाएं।
धूप: धूप की अगरबत्ती जलाएं।
फूल: फूलों से मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र को सजाएं।
फल: फलों को भोग लगाएं।
नारियल: नारियल को तोड़कर पूजा स्थल पर रखें।
रोली, चंदन, अक्षत: इनसे तिलक लगाएं और चढ़ाएं।
कुश: कुश को पूजा स्थल पर बिछाएं।
पुस्तकें और वाद्य यंत्र: मां सरस्वती के चरणों में अर्पित करें।
ध्यान दें:
उपरोक्त सामग्री की मात्रा अनुमानित है। आप अपनी सुविधा के अनुसार इनमें थोड़ा बहुत बदलाव कर सकते हैं।
सरस्वती पूजा के समय किसी पंडित का मार्गदर्शन लेना बेहतर होता है।
सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त: सरस्वती पूजा का सबसे शुभ दिन बसंत पंचमी है।
नोट: यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले किसी जानकार व्यक्ति से सलाह लेना उचित होता है।
सरस्वती पूजा करने से क्या लाभ होते हैं?
बुद्धि का विकास
ज्ञान की प्राप्ति
कलाओं में निपुणता
मानसिक शांति
महामृत्युंजय मंत्र का जाप और पूजा करने से मृत्यु के बंधन से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है। यह मंत्र शिव जी का बहुत ही शक्तिशाली मंत्र माना जाता है।
शिवलिंग: आप अपनी सुविधा के अनुसार शिवलिंग का चुनाव कर सकते हैं।
कलश: 1 (मध्यम आकार का)
पंचामृत: 1 कप
दूध: ½ कप
दही: ¼ कप
शहद: 1 चम्मच
घी: 1 चम्मच
चीनी: 1 चम्मच
रोली: 2 चम्मच
चावल: 1 मुट्ठी
फूल: विभिन्न रंगों के ताजे फूल (एक गुलदस्ता)
फल: मौसमी फल (3-5)
नारियल: 1
चंदन: 1 छोटा टुकड़ा
अक्षत: 1 मुट्ठी
कुश: एक मुट्ठी
बेल पत्र: 5-7 पत्ते
धतूरा: 3-5 फूल
दीपक: 5
धूप: 1 पैकेट
कपूर: थोड़ा सा
महामृत्युंजय मंत्र पुस्तिका: 1
शुद्धि: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
शिवलिंग की स्थापना: शिवलिंग को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
कलश स्थापना: कलश को चौकी पर स्थापित करें।
दीपक और धूप जलाएं: सकारात्मक ऊर्जा के लिए।
शिवलिंग को स्नान कराएं: पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं।
अर्चना: शिवलिंग को फूल, फल, बेल पत्र, धतूरा आदि चढ़ाएं।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप: निर्धारित संख्या में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
आरती: शिवलिंग की आरती करें।
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्युर्मुक्षीय माऽमृतमम्।।
दीर्घायु: यह मंत्र दीर्घायु प्रदान करता है।
रोग मुक्ति: यह मंत्र रोगों से मुक्ति दिलाता है।
शांति: यह मंत्र मन को शांत करता है।
सकारात्मक ऊर्जा: यह मंत्र सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
ध्यान दें:
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय किसी अनुभवी पंडित का मार्गदर्शन लेना बेहतर होता है।
इस मंत्र का जाप नियमित रूप से करने से अधिक लाभ मिलता है।
दुर्गा पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जिसमें देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। यह त्योहार नौ दिनों तक मनाया जाता है और इसमें कई तरह की पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है।
यहां दुर्गा पूजा के लिए आवश्यक सामग्री की एक सूची दी गई है:
माँ दुर्गा की मूर्ति: यह पूजा का केंद्र बिंदु होता है। आप अपनी पसंद के अनुसार मां दुर्गा के किसी भी रूप की मूर्ति या चित्र का उपयोग कर सकते हैं।
कलश: इसमें जल, पंचामृत, रोली, चावल, फूल और नारियल रखा जाता है।
Opens in a new windowwww.herzindagi.com
Kalash for Durga Puja
चौकी: मूर्ति या चित्र को रखने के लिए एक साफ चौकी का उपयोग किया जाता है।
लाल रंग का वस्त्र: चौकी को ढकने के लिए लाल रंग का वस्त्र उपयोग किया जाता है।
दीपक: घी या तेल का दीपक जलाया जाता है।
धूप: अगरबत्ती या धूप जलाया जाता है।
चावल: पूजा के लिए शुद्ध चावल का उपयोग किया जाता है।
फूल: विभिन्न प्रकार के ताजे फूल जैसे चमेली, गुलाब आदि।
फल: मौसमी फल जैसे केला, सेब, संतरा आदि।
नारियल: पूजा में नारियल का विशेष महत्व होता है।
रोली: तिलक लगाने के लिए रोली का उपयोग किया जाता है।
चंदन: तिलक लगाने के लिए चंदन का उपयोग किया जाता है।
अक्षत: पूजा में अक्षत का छिड़काव किया जाता है।
पंचामृत: दूध, दही, शहद, घी और चीनी मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है।
पुष्पांजलि: फूलों की माला
हवन सामग्री: (यदि हवन किया जाता है)
वस्त्र: भगवान के लिए वस्त्र।
नैवेद्य: भोग लगाने के लिए।
काल सर्प दोष पूजा एक जटिल ज्योतिषीय दोष को शांत करने के लिए की जाती है। इस पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और उनकी मात्रा पूजा के प्रकार, स्थान, और व्यक्तिगत जन्म कुंडली के अनुसार भिन्न हो सकती है।
सामान्यतः इस्तेमाल होने वाली सामग्री:
फूल: कमल, चमेली, गुलाब आदि। मात्रा: 11 या 21 फूल।
फल: सेब, अंगूर, केला आदि। मात्रा: 5 या 11 फल।
दूध: गाय का कच्चा दूध। मात्रा: पूजा के पात्र के आकार के अनुसार।
दही: ताजा दही। मात्रा: पूजा के पात्र के आकार के अनुसार।
घी: शुद्ध देसी घी। मात्रा: पूजा के पात्र के आकार के अनुसार।
शहद: शुद्ध शहद। मात्रा: एक चम्मच।
गंगाजल: पवित्र गंगाजल। मात्रा: पूजा के पात्र के आकार के अनुसार।
दीपक: घी का दीपक। मात्रा: 1 या 5।
धूप: अगरबत्ती या धूप। मात्रा: पूजा की अवधि के अनुसार।
नाग के चित्र या मूर्ति: तांबे या सोने की बनी।
यज्ञ सामग्री: यदि यज्ञ किया जाता है तो यज्ञ सामग्री जैसे कि समिधा, घी आदि।
अन्य सामग्री:
पूजा का थाल: धातु या लकड़ी का।
पूजा का पात्र: पीतल या तांबे का।
रोटी: शुद्ध घी वाली रोटी।
मिठाई: मोतीचूर लड्डू या अन्य शुद्ध मिठाई।
नैवेद्य: फल, मिठाई आदि।
ध्यान देने योग्य बातें:
पंडित का मार्गदर्शन: पूजा के दौरान किसी अनुभवी पंडित का मार्गदर्शन लेना बहुत जरूरी है।
कुंडली विश्लेषण: पूजा की सामग्री और विधि का निर्धारण व्यक्ति की जन्म कुंडली के विश्लेषण के आधार पर किया जाता है।
शास्त्रों का पालन: पूजा के दौरान शास्त्रों के अनुसार सभी विधियों का पालन करना चाहिए।
मन की शुद्धि: पूजा के दौरान मन को शांत और शुद्ध रखना चाहिए।
काल सर्प दोष पूजा एक जटिल ज्योतिषीय दोष को शांत करने के लिए की जाती है। इस पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री और उनकी मात्रा पूजा के प्रकार, स्थान, और व्यक्तिगत जन्म कुंडली के अनुसार भिन्न हो सकती है।
सामान्यतः इस्तेमाल होने वाली सामग्री:
फूल: कमल, चमेली, गुलाब आदि। मात्रा: 11 या 21 फूल।
फल: सेब, अंगूर, केला आदि। मात्रा: 5 या 11 फल।
दूध: गाय का कच्चा दूध। मात्रा: पूजा के पात्र के आकार के अनुसार।
दही: ताजा दही। मात्रा: पूजा के पात्र के आकार के अनुसार।
घी: शुद्ध देसी घी। मात्रा: पूजा के पात्र के आकार के अनुसार।
शहद: शुद्ध शहद। मात्रा: एक चम्मच।
गंगाजल: पवित्र गंगाजल। मात्रा: पूजा के पात्र के आकार के अनुसार।
दीपक: घी का दीपक। मात्रा: 1 या 5।
धूप: अगरबत्ती या धूप। मात्रा: पूजा की अवधि के अनुसार।
नाग के चित्र या मूर्ति: तांबे या सोने की बनी।
यज्ञ सामग्री: यदि यज्ञ किया जाता है तो यज्ञ सामग्री जैसे कि समिधा, घी आदि।
अन्य सामग्री:
पूजा का थाल: धातु या लकड़ी का।
पूजा का पात्र: पीतल या तांबे का।
रोटी: शुद्ध घी वाली रोटी।
मिठाई: मोतीचूर लड्डू या अन्य शुद्ध मिठाई।
नैवेद्य: फल, मिठाई आदि।
ध्यान देने योग्य बातें:
पंडित का मार्गदर्शन: पूजा के दौरान किसी अनुभवी पंडित का मार्गदर्शन लेना बहुत जरूरी है।
कुंडली विश्लेषण: पूजा की सामग्री और विधि का निर्धारण व्यक्ति की जन्म कुंडली के विश्लेषण के आधार पर किया जाता है।
शास्त्रों का पालन: पूजा के दौरान शास्त्रों के अनुसार सभी विधियों का पालन करना चाहिए।
मन की शुद्धि: पूजा के दौरान मन को शांत और शुद्ध रखना चाहिए।